एक मुद्दत की शिकन थी ,
सौ यादों का सामान था ,
वो आँखें दो दरिया ही तो थी ,
वो खिलौना ये दिल ही तो था .
बाजार में आये तो जाना क्या कीमत है ,
बेमोल वर्ना समझ बैठे थे इस दिल-ए-नादान को हम ,
रुसवाई हो ही गयी है जब तो ये हाल है ,
की खरीदार भी हो गए है कही गुम.
तमन्नाओं की उस राख को सीने से क्या लगाए अब ,
जब काश की चमक भी धुंधली हो चुकी हो ,
किसे इलज़ाम दे ,किसे काफिर कहें अब ,
जब इस दिल ने ही अपनी रूह की आबरू लूट ली हो .
मौत तो है एक सस्ता सौदा ,
इतने हम खुशनसीब कहाँ ,
ना वफ़ा मिली ,ना रहा औहदा ,
फरियाद करने के लिए भी अब होश कहाँ .
दिल है बस एक शीशा अब ,बिखरने तो तैयार ,
एक एहसान की दरख्वास्त कर लू शायद ,
की कोई रहम करे ,एक पत्थर ही मुझे दे मर ,
जिस्म टूटने को बाकी है बस ,पूरी कर दे रिवायत .
तौबा करके चले हम इस जन्नत से ,
की जहाँ और भी है जहन्नुम से बदतर ,
कुछ सीखो इस खामोश जनाज़े से ,
जब दिल बने खिलौना तो यही है मुक़द्दर .
सौ यादों का सामान था ,
वो आँखें दो दरिया ही तो थी ,
वो खिलौना ये दिल ही तो था .
बाजार में आये तो जाना क्या कीमत है ,
बेमोल वर्ना समझ बैठे थे इस दिल-ए-नादान को हम ,
रुसवाई हो ही गयी है जब तो ये हाल है ,
की खरीदार भी हो गए है कही गुम.
तमन्नाओं की उस राख को सीने से क्या लगाए अब ,
जब काश की चमक भी धुंधली हो चुकी हो ,
किसे इलज़ाम दे ,किसे काफिर कहें अब ,
जब इस दिल ने ही अपनी रूह की आबरू लूट ली हो .
मौत तो है एक सस्ता सौदा ,
इतने हम खुशनसीब कहाँ ,
ना वफ़ा मिली ,ना रहा औहदा ,
फरियाद करने के लिए भी अब होश कहाँ .
दिल है बस एक शीशा अब ,बिखरने तो तैयार ,
एक एहसान की दरख्वास्त कर लू शायद ,
की कोई रहम करे ,एक पत्थर ही मुझे दे मर ,
जिस्म टूटने को बाकी है बस ,पूरी कर दे रिवायत .
तौबा करके चले हम इस जन्नत से ,
की जहाँ और भी है जहन्नुम से बदतर ,
कुछ सीखो इस खामोश जनाज़े से ,
जब दिल बने खिलौना तो यही है मुक़द्दर .